- श्वेता पुरोहित। ब्रह्मलीन अनन्तश्रीविभूषित पूर्वाम्नाय गोवर्धन-पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिरंजनदेवतीर्थजी महाराज
१. ‘अच्युताय नमः, अनन्ताय नमः, गोविन्दाय नमः ‘
इस मन्त्र का निरन्तर जप करनेसे हर प्रकारके रोग दूर हो जाते हैं। जबतक रोग न मिटे, श्रद्धापूर्वक जप करता रहे। इस मन्त्र का सतत जप करते रहने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं। यह अनुभूत प्रयोग है।
२. गच्छ गौतम शीघ्रं त्वं ग्रामेषु नगरेषु च।
आसनं भोजनं यानं सर्वं मे परिकल्पय ॥
इस मन्त्र का जप करनेसे सभी तरह से साधन सुलभ होकर यात्रा सुखद होती है।
३. सर्पापसर्प भद्रं ते गच्छ सर्प महाविष ।
जनमेजयस्य यज्ञान्ते आस्तीकवचनं स्मर ॥
आस्तीकवचनं स्मृत्वा यः सर्पो न निवर्तते ।
शतधा भिद्यते मूर्छिन शिंशपावृक्षको यथा ॥
जब कभी सर्प दिखलायी दे, उसी समय इस मन्त्र को जोर से सर्पके सामने कहना चाहिये। इसे सुनते ही सर्प तत्क्षण लौट जायगा तथा किसीको नहीं काटेगा। रात्रिमें सोते समय भी इस मन्त्र को कहा जाता है। इसे कण्ठस्थ कर लेना चाहिये।
४. तिस्रो भार्याः कफल्लस्य दाहिनी मोहिनी सती।
तासां स्मरणमात्रेण चौरो गच्छति निष्फलः ॥
कफल्ल कफल्ल कफल्ल।
रात्रि में सोते समय इस मन्त्र को कहकर और तीन बार ताली बजाकर सोये। इससे चोरी नहीं होगी। सोनेसे पूर्व द्वार की साँकल बन्द करते समय भी यथाशक्ति इसका जप करनेसे चोर आदि रात्रि में आयेगा भी तो उसे खाली हाथ लौटना पड़ेगा।
५. आदिचौरकफल्लस्य ब्रह्मदत्तवरस्य च।
तस्य स्मरणमात्रेण चौरो विशति न गृहे ॥
सोते समय घर के ताले लगाते हुए इस मन्त्र के स्मरणमात्र से चोर घरमें आयेगा ही नहीं।
६. अगस्तिर्माधवश्चैव मुचुकुन्दो महाबलः ।
कपिलो मुनिरास्तीकः पञ्चैते सुखशायिनः ॥
यदि किसी को नींद न आती हो तो हाथ-पैर धोकर सोते समय इस मन्त्र का उच्चारण करते रहें। दो- तीन दिन प्रयोग के बाद ही शीघ्र सुखद निद्रा आने लगेगी।
७. वाराणस्यां दक्षिणे तु कुक्कुटो नाम वै द्विजः ।
तस्य स्मरणमात्रेण दुःस्वप्नः सुखदो भवेत् ॥
यदि किसी को बुरे स्वप्न आते हों तो रात्रि में हाथ- पैर धोकर शान्त-चित्त से पूर्वमुख आसन पर बैठकर प्रतिदिन इस मन्त्र का १०८ बार जप करे, दुःस्वप्न बन्द हो जायँगे तथा उनके फल भी अच्छे होंगे।
८. अच्युतानन्तगोविन्दनामोच्चारणभेषजात् ।
नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ॥
सभी प्रकार के रोग की निवृत्ति के लिये उपर्युक्त श्लोक का अधिकाधिक जप करे। जो लोग श्लोक का पाठ करने में असमर्थ हों, वे ‘अच्युताय नमः, अनन्ताय नमः, गोविन्दाय नमः ।’ – इन तीन मन्त्रोंका ही जप करें।
९. या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
इस मन्त्रका प्रतिदिन १०८ बार जप करने से पारिवारिक कलहकी निवृत्ति होगी।