अर्चना कुमारी । मराठा आबादी के चुनिंदा लोगों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। महाराष्ट्र सरकार के फैसले का विरोध हो रहा है।
ज्ञात हो महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे कार्यकर्ता मनोज जारांगे की अगुवाई में आंदोलन हो रहा है। लेकिन करीब सात महीने से आंदोलन के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है।
दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं। मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ पीआईएल दायर कर इस फैसले को निरस्त करने की मांग की गई है। मामले में छह फरवरी को सुनवाई हो सकती है।
30 जनवरी को ‘ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन’ के अध्यक्ष ने जनहित याचिका दायर की। याचिकाकर्ता मंगेश ससाने खुद को ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन’ का प्रमुख बताते हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र देकर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को ‘प्रभावित’ कर रही है।
याचिका में मराठों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने की अनुमति देने वाले सरकारी प्रस्तावों को चुनौती दी गई है। लगभग दो दशकों में पांच सरकारी प्रस्ताव जारी किए गए हैं। पीआईएल दाखिल करने वाले वकील आशीष मिश्रा ने दावा किया कि पहले मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र आसानी से नहीं मिलता था, लेकिन आंदोलनों के कारण यह आसानी से मिलने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रमाण पत्र केवल मराठा लोगों को आरक्षण का लाभ देने के लिए बनाए गए हैं।उन्होंने कहा कि 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मराठों को आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था।
मिश्रा ने दावा किया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र देने आरक्षण का लाभ देने का फैसला लेकर पिछले दरवाजे से प्रवेश दे रही है।सनद रहे 20 जनवरी को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल ने जालना के अंतरवाली सारथी से मुंबई तक मार्च शुरू किया।
इसके बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने का फैसला लिया। सरकार ने अधिसूचना पर 16 फरवरी तक सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं। अधिसूचना जारी होने और कुछ लोगों को प्रमाण पत्र मिलने की शुरुआत होने के बाद जारांगे ने मार्च खत्म कर दिया था।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने फैसला लिया है कि मराठा व्यक्ति के रक्त रिश्तेदार को भी कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी। हालांकि, ऐसे लोगों के पास इस बात के प्रमाण होने चाहिए कि वह कुनबी समुदाय से आते हैं। कुनबी महाराष्ट्र में कृषक समुदाय को कहा जाता है। कुनबी ओबीसी श्रेणी में आता है। सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र की मांग का मकसद सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ हासिल करना है।