अर्चना कुमारी। यह देश मूल तौर पर सनातनी हिंदुओं का है लेकिन दुर्भाग्य देखिए ईद पर तो छुट्टी मिल रही है लेकिन रामनवमी मनाने की इजाजत लेनी पड़ती है। जम्मू के डोडा तथा बंगाल में तो ईद की छुट्टी दी गई लेकिन रामनवमी की छुट्टी रद्द कर दी गई। देश की राजधानी मे तो रामनवमी आयोजित करने के लिए पुलिस प्रशासन से अनुमति मांगी गई लेकिन कानून व्यवस्था का भय दिखाकर इसकी अनुमति नहीं दी गई क्योंकि पिछले साल इसी रामनवमी के जुलूस के दौरान मुस्लिमों ने कथित तौर पर हिंदुओं को निशाना बनाते हुए दंगे शुरू कर दिए थे ।
बाद में चोरी छुपे हिंदुओं ने यहां पर जुलूस निकाला, जिसे पुलिस ने बाद में रोक दिया। जिस दंगे की आड़ में रामनवमी की छुट्टी रद्द की जाती है और हिंदुओं को जुलूस निकालने की अनुमति नहीं मिलती, उस देश में हिंदुओं के त्योहारों पर तो दंगे हो जाते हैं लेकिन मुस्लिमों के त्यौहार पर कुछ भी बवाल नहीं होता ।
कभी आपने शायद ही सुना होगा कि ईद और बकरीद पर कभी दंगे हुए हो लेकिन हिंदुओं के त्यौहार खासकर रामनवमी और दुर्गा पूजा के जुलूस को अक्सर टारगेट किया जाता है। यही वजह है कि इस साल भी बिहार से बंगाल और भाजपा शासित महाराष्ट्र से लेकर गुजरात तक दंगे किए गए।
भाजपा की ओर से अक्सर दावा किया जाता है कि जब से नरेंद्र मोदी के तौर पर प्रधानमंत्री वह आसीन हुए हैं ,उस समय से देश में दंगे कम हुए हैं लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा बताता है कि साल 2014 से लेकर साल 2020 तक 180 लोग दंगे के लेकर मारे गए। इनमें से साल 2014 में कुल 12 लोगों की जान दंगे में गई जबकि साल 2015 में 27, 2016 के दौरान 20, 2017 के अवधि में 16, 2018 के दौरान 24 तथा साल 2019 में 19 और साल 2020 में 62 लोगों की जान दंगे में चली गई।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने करीब 2 साल पहले लोकसभा के भीतर बयान दिया था कि देश में 2016 से 2020 के बीच सांप्रदायिक दंगों के करीब 3,400 मामले दर्ज किए गए थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के हवाले से कहा कहा गया था कि 2020 में सांप्रदायिक या धार्मिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए और बाद में इसी तरह 2019 में 438, वर्ष 2018 में 512, वर्ष 2017 में 723 और वर्ष 2016 में 869 ऐसे मामले दर्ज किए गए।
सूत्र बताते हैं कि कुल 2,76,273 दंगे इन पांच सालों में हुए, जिनमें से 3399 धार्मिक या सांप्रदायिक दंगे थे। बताया जाता है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से 2016 के बीच कुल 2885 दंगे हुए हैं। इनमें से साल 2014 में 1227, साल 2015 में 789 और साल 2016 में 869 दंगे हुए। भाजपा शासित भीषण दंगों में दिल्ली का दंगा तो सबको याद ही होगा जहां पर 53 लोग मारे गए थे। नागरिक संशोधन कानून विधेयक का विरोध करते-करते मुस्लिमों ने हिंदुओं को कथित तौर पर निशाना बनाया जिसके बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में 53 लोग मार दिए गए। इसी तरह चर्चित दंगों में
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले का बदुरिया-बशीरात दंगा (2017), पश्चिम बंगाल के ही हाजीनगर का दंगा (2016) और उत्तर प्रदेश का सहारनपुर दंगा (2014) शामिल है। गौरतलब है कि साम्प्रदायिक हिंसा की स्थिति तब होती है, जब पांच से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है या 10 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं। हिंसा में एक शख्स की मौत या 10 लोगों तक जख्मी होने पर उसे उल्लेखनीय तौर पर दर्ज किया जाता है।